Mohd Rafi - The Millennium Singer
24 December 1924 – 31 July 1980
Mohammed Rafi was an Indian playback singer and one of the most popular singers of the Hindi film industry. Rafi was notable for his versatility; his songs ranged from classical numbers to patriotic songs, sad lamentations to highly romantic numbers, qawwalis to ghazals and bhajans. He was known for his ability to mould his voice to the persona of the actor, lip-synching the song on screen in the movie. Between 1950 and 1970, Rafi was the most sought after singer in the Hindi film industry. He received six Filmfare Awards and one National Film Award. In 1967, he was honoured with the Padma Shri award by the Government of India.
जिसकी आवाज़ दिलों जाँ में उतर जाती है।
जिसका अन्दाज़ कोई और नहीं पा सकता।।
यूँ तो फनकार बहुत आयेंगे इस दुनिया में।
एक रफी जैसा कोई और नहीं आ सकता।।
’मौ0 जलीस सिद्दीकी‘
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Mohd Rafi Is The Best
Jiska Andaaz Koi Aur Nahin Paa Sakta''
Yun To Fankar Bahut Aayenge Is Duniya Mein'
Ek Rafi Jaisa Koi Aur Nahin Aa Sakta''
songs of mohd rafi
स्वर सम्राट मौ0 रफी का जन्म 24 दिसम्बर सन 1924 को कोटला सुल्तान सिंह अमृतसर में हुआ था। मौ0 रफी बचपन से ही संगीत प्रेमी थे इस लिए वह अपना शौक पूरा करने के लिए लाहौर आए। आपके शौक को देखते हुए आपके बडे भाई ने आपकी बहुत मदद की और उस्ताद बडे़ गुलाम अली खाँ, पण्डित जीवन लाल मट्टू, उस्ताद अहमद वहीद खाँ जैसे दिग्गजों से आपकी तलीम का इन्तजाम किया। आपने 12 साल तक उस्तादों की सरपरस्ती में अपनी आवाज़ में पुख्तगी पैदा की। एक बार किसी प्रोग्राम में के0 एल0 सहगल साहब को आना था लेकिन उनके आने में कुछ देर हो गई लोगों की फरमाईश पर मौ0 रफी को गीत गाने लिए बुलाया गया, आपके गीत गाते समय के0 ए0 सहगल साहब आ गये लेकिन रफी साहब तब तक समाँ बांध चुके थे। सहगल साहब ने मौ0 रफी को बहुत पसन्द किया और रेडियो लाहौर से परिचय करा दिया। अब रेडियो लाहौर पर रफी साहब गूंजनें लगे। वहाँ उनकी मुलाकात उस वक्त के महान संगीतकार श्याम सुन्दर से हुई, उन्होने सन 1944 में एक पंजाबी फिल्म ’गुलबलौच’ में गाने का मौका दिया। इसी समय रफी साहब ने श्याम सुन्दर के संगीत निर्देशन में फिल्म गाँव की गौरी के लिए एक और गीत गाया। यही समय था जब उस समय के प्रसिद्ध संगीतकार नौशाद साहब ने मौ0 रफी की गायन प्रतिभा को पहचान कर फिल्म पहले आप में जौहरा, श्याम सुन्दर, शाम कुमार के साथ गाने का मौका दिया। इस तरह फिल्म इन्डस्ट्री में एक महान गायक का पर्दापण हो गया। मौ0 रफी के गीतों का आगाज़ अनमोल घड़ी, जुगनूं, प्यार की जीत, दिल्लगी, चाँदनीरात, दीदार जैसी हिट फिल्मों से हुआ। मौ0 रफी की कामयाबी में नया मोड़ फिल्म बैजू बावरा के गाने ओ दुनिया के रखवाले से आया नौशाद साहब के संगीत निर्देशन में बनी इस फिल्म में कुल ग्यारह गाने थे जिसमें दो गीत शाश्त्रीय गायक उस्ताद आमिर खाँ साहब, और डी0 बी0 पलुस्कर ने गाये थे फिल्म के पोस्टर पर भी इन्ही दो दिग्गजों का नाम था मगर फिल्म प्रदर्शन के बाद गली गली में मौ0 रफी के गाये गीत ओ दुनिया के रखवाले तू गंगा की मौज, गूंजने लगे और इस तरह मौ0 रफी को वोह मुक़ाम मिल गया जिसके वह हक़दार थे। अब मौ0 रफी फिल्मी हीरों की पहली पसन्द बन चुके थे। दिलीप कुमार, देव आनन्द, राजेन्द्र कुमार, धर्मेन्द्र, प्रदीप कुमार, गुरू दत्त, शम्मी कपूर वग़ैरा अपनी फिल्मों की कामयाबी में मौ0 रफी को भी हिस्सेदार मानते थे। रफी साहब की कामयाबी में सबसे बड़ी बात यह थी कि वह किसी भी तरह का गीत चाहे वह शाश्त्रीय संगीत हो या रोमानी गीत, भजन हो या क़व्वाली, नात हो या ग़ज़ल सभी को बड़ी महारत के साथ के गाते थे। चाहे जैसा भी गीत हो रफी साहब ने सुरों के साथ कभी समझोता नहीं किया मौ0 रफी ने जितने भी गीत गाये वह सब कमाल के थे। मौ0 रफी की आवाज़ को अमर बनाने में उस समय के आला संगीतकार एवं गीतकारों का विशेष योगदान रहा है। इनमें नौशाद साहब के साथ हुस्नलाल, भगतराम, सी रामचन्द्र, एस0डी0बर्मन, मदन मोहन, रोशन, शंकर जयकिशन, ग़ुलाम मौ0, रवि, लक्षमीकांत प्यारेलाल और मजरूह सुल्तानपुरी, साहिर लुध्यानवी, हसरत जयपुरी, शकील बदायूंनी, शैलेन्द्र, राजेन्द्रकृष्ण, आनन्द बख्शी जैसे माने हुए गीतकार शामिल हैं। रफी साहब ने सबसे ज़्यादा युगल गीत लता मंगेश्कर के साथ गाये हैं। संगीत प्रेमी रफी-लता की आवाज़ को आदर्श आवाज़ मानते हैं। मौ0 रफी के फिल्मी ही नहीं बल्कि गैर फिल्मी गीत भी बहुत मक़बूल हुए उन्होने हिन्दी, उर्दू गीतों के अलावा मराठी, पंजाबी, कोंकणी, अग्रेज़ी एवं ज़्यातातर सभी भारतीय भाषाओं के गीत को अपनी आवाज़ से सजाया। उस समय का शायद ही कोई ऐसा फिल्मी हीरो या चरित्र अभिनेता हो जिसके लिए रफी साहब ने गीत ना गाया हो। उन्होने देश विदेश में कई यादगार स्टेज प्रोग्राम पेश किये छः बार फिल्म फेयर ऐवार्ड और कई सम्मान पाने वाले मौ0 रफी को 1967 ई0 में भारत सरकार के पदम श्री पुरूस्कार से नवाज़ा गया। बेमिसाल और यादगार गीत देने वाले इस अज़ीम फनकार ने 31 जुलाई सन 1980 ई0 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया बैशक मौ0 रफी आज इस दुनिया में मौजूद नहीं मगर आज के गायक भी उन्हें अपनी प्रेरणा स्रोत मानते हैं। सोनू निगम रफी साहब को अपना भगवान मानते हैं और स्टेज प्रोग्राम में सबसे पहले रफी साहब का गीत गाते हैं। मौ0 रफी को अपना आदर्श मानने वालों की लम्बी कतार है। महेन्द्र कपूर, मौ0 अज़ीज़, शब्बीर कुमार, अनवर इसकी शानदार मिसाल हैं। ऐसे महान गायक के गीतों का संकलन करना नामुमकिन तो नही लेकिन मुश्किल ज़रूर है। इस संबन्ध में प्रथम चरण का प्रारम्भ करते हुए मौ0 रफी साहब के पांच हज़ार से अधिक गीतों की पहली फेहरिस्त आपके समक्ष प्रस्तुत है। फेहरिस्त अंग्रेज़ी वर्णमाला तथा फिल्मों के आधार पर बनाई गई है जिस कारण कोई भी गाना तलाश करना बेहद आसान है। इसके अतिरिक्त फेहरिस्त में क्षेञीय भाषा, धार्मिक, ग़ैर फिल्मी तथा अनरीलीज गीतों को भी शामिल किया गया है। कई वर्षों की लगातार मेहनत के बाद यह कार्य सम्भव हो पाया है। फेहरिस्त को तैयार करने में बहुत सावधानी बरती गई है। यदि भूलवश कोई गलती रह जाती है तो आप लोगों की राय सादर आमन्त्रित है।
जिसकी आवाज़ दिलों जाँ में उतर जाती है।
जिसका अन्दाज़ कोई और नहीं पा सकता।।
यूँ तो फनकार बहुत आयेंगे इस दुनिया में।
एक रफी जैसा कोई और नहीं आ सकता।।
’मौ0 जलीस सिद्दीकी‘
A love song is a song about romantic love, falling in love, heartbreak after a breakup, and the feelings that these experiences bring. A comprehensive list of even the best known performers and composers of love songs would be a large order. For watch latest Romantic songs view this video https://www.youtube.com/watch?v=4KbU9BVcq54
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